*पशु स्वास्थ्य शिविर एवं टीकाकरण कार्यक्रम
*
कृषि विज्ञान केंद्र, ललितपुर के अध्यक्ष एवं वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ० मुकेश चंद के मार्गदर्शन एवं ग्राम प्रधान श्री पप्पू अहिरवार की अध्यक्षता में आज दिनांक 09-08-2024 को कृषि विज्ञान केंद्र द्वारा अंगीकृत ग्राम ककरुआ, ब्लाक बिरधा में पशु स्वास्थ्य शिविर एवं टीकाकरण कार्यक्रम का सफलता पूर्वक आयोजन पशुपालन वैज्ञानिक एवं कार्यक्रम समन्यवयक डा० अनुज कुमार गौतम ने किया I इस कार्यक्रम को सफल बनाने में डॉ० दिनेश तिवारी, सस्य वैज्ञानिक, डॉ० सरिता देवी, गृह वैज्ञानिक, पशुपालन विभाग, ललितपुर से आये हुए पशु चिकित्सा अधिकारी श्री राज्यवर्धन जी, पैरावेट श्री मदन राजपूत एवं दिनेश कुमार जी का सहयोग मिला I इस कार्यक्रम में पशुपालकों को पशुओं में विषाणु, जीवाणु एवं परिजीवियो द्वारा होने वाले विभिन्न रोगों के बचाव एवं टीकाकरण के बारे में जानकारी दी गयी I टीकाकरण के महत्व को समझाते हुए बताया की बचाव इलाज से बेहतर है, इसलिए टीकाकरण अवश्य करवा लेना चाहिए I खासतौर से किसान भाई जो भैंस पालन करते है वे तो जरुर से गलघोटू का टिका लगवा ले क्योंकि इस बीमारी का असर गाय की अपेक्षा भैंस में ज्यादा होता है और 80 से 95 % मृत्यु निश्चित होता है I टीकाकरण जब भी करवाये तो सामूहिक रूप से सभी जानवरों का होना चाहिए न कि सिर्फ अपने पशुओं का I इस बीमारी को किसान भाई कैसे पहचानेंगे तो इसका लक्षण जैसे शरीर का तापमान 104-108 डिग्री फॉरेनहाइट का हो जाना,गलकंबल और निचले जबड़े के बीच कष्टप्रद सूजन, जीभ का सूज कर मुंह से बाहर निकल आना, मुंह से लार बहना, सूजन बढ़ने पर घर-घर की आवाज आना इत्यादि है I पशु चिकित्सा अधिकारी श्री राज्यवर्धन जी ने बाह्य परजीवियों जैसे जू,किलनी,माईट,मक्खिया इत्यादि एवं अंत: परजीवियों से होने वाली बिमारियों एवं रोकथाम के बारे में विस्तार से चर्चा किया I कार्यक्रम के तहत पशुपालको के घर-घर जाकर पशुओं का स्वाथ्य परीक्षण किया गया तथा पशुओं को गलघोटू (HS), खुरपका - मुखपका (FMD) का टीकाकरण कराया गया I बाह्य परजीवियों के रोकथाम के लिए पोरान (PORON)प्लस दवा पशुओं के पीठ पर लगा कर इलाज किया गया I जिन पशुओं के शरीर पर घाव हुआ था उस पर लोरेक्सन क्रीम दवा लगाकर उसका इलाज किया गया I अंत:परजीवी बीमारी से पशुओं के बचाव के लिये पशुपालको को फेनबेंडाजोल एवं एलबेंडाजोल कीड़े की दवा का वितरण किया गया I जो पशु कमजोर थे उनके लिए एप्टीफ़ास्ट (APTIFAST) दवा का वितरण किया गया I जो पशु कम दूध दे रहे थे उनके लिए मिनरल मिक्सचर पाऊडर का वितरण कराया गया I बकरी पालक किसानों के बकरियों का परिक्षण कर अंत: परजीवियों से होने वाली बिमारियों के इलाज हेतु कीड़े की दवा निलजान (NILJAN) पिलाया गया I इस कार्यक्रम के माध्यम से गाँव के लगभग 60% गाय-भैंस एवं 70 % बकरियों का इलाज किया गया I इस कार्यक्रम का मूल उद्देश्य कृषको के पशुओं का स्वास्थ्य एवं अधिक दुग्ध उत्पादन कर आमदनी कैसे बढाये यह था I इस कार्यक्रम को सफल बनाने में बाँदा कृषि एवं प्रौधौगिक विश्वविद्यालय, बाँदा से आये हुए बी.एस. (उद्यान) एवं बी.एस. (कृषि) के चतुर्थ वर्ष के रावे (RAWE) के छात्रों एवं कृषि विज्ञान केंद्र,ललितपुर द्वारा बनायी गयी ककरुआ कृषक महिला समूह समिति की महिलाओं किरन, अंजना, निशा इत्यादि का भरपूर सहयोग रहा I
No comments:
Post a Comment