सिद्ध क्षेत्र पावागिरि में शुक्रवार को होगा तीन दिवसीय वार्षिक मेला का भव्य शुभारम्भ।
वात्सल्य मूर्ति सुव्रतसागर महाराज की अागुवानी में उमड़ा जन सैलाव।
श्री जी की शोभायात्रा कार्यक्रम के साथ सिद्धचक्र महामंडल विधान का हुआ समापन।
कलुषित आत्मा की पवित्रता और पाप कर्मों का नाश करने के लिए करते हैं सिद्ध चक्र विधान -अंशू भैया।
तालबेहट। बुंदेलखंड के प्रसिद्ध जैन सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर अष्टाह्निका महापर्व में आयोजित सिद्ध चक्र महामंडल विधान सानंद संपन्न हुआ। गुरुवार सुबह वात्सल्य मूर्ति बुंदेली संत मुनि सुव्रत सागर महाराज का आगमन सिद्ध भूमि पर हुआ। बीना में मंगल चातुर्मास पूर्ण कर मुनि श्री का विहार पावागिरि के लिए हुआ तो क्षेत्र अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन के नेतृत्व में प्रबंध समिति ने अगुवानी की। बुधवार को डिग्री कॉलेज बम्हौरी में रात्रि विश्राम के बाद जब मुनि श्री के कदम पावागिरि की ओर बढे तो भारी संख्या में श्रद्धालुओं ने पहुँचकर गुरु वंदना की एवं मुनि संग में चलकर वासुपूज्य दिगम्बर जैन मंदिर के दर्शन कर पावागिरि की सिद्ध भूमि पर पहुंचे तो हाइवे साइनबोर्ड से अागुवानी के लिए जन सैलाव उमड़ा एवं क्षेत्र प्रांगण जयकारों से गूँज उठा। पं. विनोद कुमार शास्त्री के नेतृत्व में चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी की अभिषेक शांतिधारा की गयी। आदीश जैन एन्ड पार्टी गढ़ाकोटा के मधुर संगीत में पूर्णाहूति के साथ विधान का समापन, विश्वशांति महायज्ञ एवं हवन के बाद रथयात्रा का आयोजन किया गया। जिसमें श्री जी की गाजेबाजे के साथ शोभायात्रा निकाली गयी। इस मौक़े पर विधानाचार्य अंशू भैया कोलारस ने कहा कलुषित आत्मा की पवित्रता और पाप कर्मों का नाश करने के लिए सिद्धचक्र विधान करते हैं, उन्होंने कहा सिद्ध क्षेत्र पर अष्टाह्निका महापर्व में धार्मिक अनुष्ठानों का विशेष महत्त्व है, मानव जीवन को सफल बनाने के लिए एक बार सिद्ध चक्र महामंडल विधान जरूर करें। क्षेत्र प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने बताया की शुक्रवार को मुनि सुव्रत सागर महाराज के मंगलमय सानिध्य एवं बाल ब्रह्मचारी संजय भैया मुरैना के निर्देशन में तीन दिवसीय वार्षिक मेला का भव्य शुभारम्भ किया जायेगा। कार्यक्रम में मोदी सुरेंद्र कुमार, डॉ. मयंक, कमलेश जैन अहमदाबाद, क्षेत्र प्रबंध समिति एवं निकटवर्ती समाज का सक्रिय सहयोग रहा। संचालन ज्ञानचंद बबीना एवं आभार व्यक्त जयकुमार कंधारी ने किया।
*पावागिरि से जुड़े भक्तों ने क्षेत्र की प्राचीनता और वार्षिक मेला के बारे में रखे अपने विचार।*
बुंदेलखंड के प्रसिद्ध सिद्ध क्षेत्र पावागिरि की पावन धरा पर शुक्रवार को राष्ट्र संत आचार्य विद्यासागर महाराज के परम प्रभावक शिष्य वात्सल्य मूर्ति बुंदेली संत सुव्रत सागर महाराज के मंगलमय सानिध्य एवं प्रतिष्ठाचार्य बा.ब्र. संजय भैया मुरैना के निर्देशन में चमत्कारी बाबा मूलनायक पारसनाथ स्वामी के मस्तिकभिषेक एवं शांतिधारा से वार्षिक मेला का भव्य शुभारम्भ होगा। मेला के संदर्भ में हुयी वार्ता के क्रम में पूर्व मंत्री *राजकुमार जैन पवा* कहते हैं कि क्षेत्र की पावन धरा को अपनी साधना स्थली बनाकर स्वर्णभद्र, गुणभद्र, मणिभद्र और वीरभद्र आदि असंख्यात मुनियों ने निर्वाण प्राप्त किया, निर्वाण महोत्सव मनाने के लिये प्रतिवर्ष अगहन वदी द्वितीया से अगहन वदी पंचमी तक विश्व प्रसिद्ध वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है। पूर्व अध्यक्ष *अभय कुमार जैन विरधा* कहते हैं कि क्षेत्र के वार्षिक मेला में देश के कोने-कोने से धर्माबिलम्बी पहुँचकर पुण्यार्जन करते हैं, जिसका उन्हें वर्षभर इंतजार रहता है। पूर्व सदस्य, भारतीय प्रेस परिषद *प्रदीप कुमार जैन विश्व परिवार रायपुर* कहते हैं कि पावागिरि जी, सेरोंन जी, देवगढ़ जी, करगुवां जी, पपौरा जी, चंदेरी जी और थूबौन जी यह सात दर्शनीय भोंयरे एक ही दानवीर परिवार देवपत-खेवपत ने बनबाये हैं। पूर्व कोषाध्यक्ष *कैलाश चंद्र जैन गेवरा* कहते हैं कि बुंदेलखंड का यह प्रसिद्ध अद्वितीय वार्षिक मेला क्षेत्र की संस्कृति और सभ्यता की पर्याय है। धर्मश्रेष्ठी *राजेंद्र कुमार जैन टूंका वाले* कहते हैं सदियों से यह मेला जैन युवक-युवतियों के विवाह के लिये जाना जाता रहा है, जिस परम्परा को बनाये रखने के लिये प्रयास सम्बन्ध को जोड़ने के क्रम में गोलालारीय दर्शन परिवार इंदौर द्वारा विवाह योग्य युवक-युवतियों के बायोडाटा का संकलन किया जाता है। समाजसेवी *प्रवीन कुमार जैन कड़ेसरा* कहते हैं क्षेत्र के प्राचीन भोंयरे में लगभग 800 वर्ष प्राचीन मूलनायक भगवान पारसनाथ, बड़े बाबा आदिनाथ, अजितनाथ, सम्भवनाथ, मल्लिनाथ और नेमिनाथ भगवान की मनोहारी प्रतिमाएं विद्यमान हैं जिनके दर्शन से सभी मनोकामनाएँ पूर्ण हो जाती हैं। *दानवीर जयकुमार जैन ढकरई* कहते हैं क्षेत्र का इतिहास अति प्राचीन है जब जैन धर्म के 8वें तीर्थंकर भगवान चंद्रप्रभ स्वामी का सम्भोशरण सिद्ध क्षेत्र सोनागिरि आया उसी समय स्वर्ण भद्रादि मुनिराजों का पदविहार पावागिरि के लिए हुआ था। श्रावक श्रेष्ठी *प्रकाशचंद भंडारी ललितपुर* कहते हैं क्षेत्र का प्राकृतिक सौन्दर्य अवरणीय है, यहाँ भोंयरे के अतिरिक्त चौबीसी, त्रिकाल चौबीसी, सात जिन मंदिर, मानस्तम्भ, चरण छतरी एवं चार मुनि कूट एवं गुफाएं विशेष दर्शनीय हैं। *संजय जैन बबीना* कहते हैं अत्यंत मनोहारी पावागिरि के दर्शन कर सभी श्रद्धालु मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। प्रबंध समिति के उपाध्यक्ष विशाल जैन पवा ने बताया इस वर्ष 7 नवंबर को प्रारम्भ हो रहे वार्षिक मेला में पहले दिन आचार्य श्री विद्यासागर महाराज का 58 वाँ पदारोहण दिवस मनाया जायेगा। 8 नवंबर को विमानोत्सव, जल विहार, गजरथ वेदी पर कलशाभिषेक एवं रात्रि में विराट कवि सम्मलेन का आयोजन किया जायेगा। 9 नवंबर को स्वर्णभद्रादि मुनिराजों का निर्वाण महोत्सव, दोपहर में क्षेत्र का वार्षिक अधिवेशन, श्री जी की भव्य शोभायात्रा के उपरांत पाण्डुकशिला पर कलशाभिषेक एवं फूलमाल का आयोजन किया जायेगा। जिसके लिये अध्यक्ष ज्ञानचंद जैन, मंत्री जयकुमार जैन, कोषाध्यक्ष उत्तमचंद्र जैन, संयुक्त मंत्री विकास भंडारी, उपमंत्री आकाश चौधरी, ऑडीटर पंकज भंडारी व अजय जैन सहित समस्त क्षेत्र प्रबंध कार्यकारिणी समिति ने सकल दिगम्बर जैन समाज के सहयोग से तैयारियां पूर्ण कर ली हैं।



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