फ़ोटो 1- सफाई करते बच्चे
छोटे बच्चों ने थामा सफाई का संकल्प,
कड़कड़ाती ठंड में भी जारी तालाब संरक्षण अभियान
तालबेहट। मानसरोवर तालाब को बचाने की मुहिम अब नई दिशा ले रही है। प्रकृति रक्षकों के साथ जहाँ युवा, महिलाएँ और वरिष्ठ नागरिक लगातार श्रमदान कर रहे थे, वहीं अब छोटे-छोटे बच्चे भी इस अभियान में कंधे से कंधा मिलाकर जुड़ गए हैं। बच्चों का यह उत्साह और समर्पण अभियान में नई ऊर्जा भर रहा है। सुबह की ठिठुरन भरी सर्दी के बावजूद बाल-सफाई स्वयंसेवकों ने तालाब की सफाई में हाथ बँटाते हुए यह संदेश दिया कि प्रकृति संरक्षण उम्र का नहीं, सोच का विषय है।
अपील का असर—हजारिया घाट अब पूरी तरह स्वच्छ लोगों में जागरूकता बढ़ने का असर साफ दिख रहा है। हजारिया घाट पर अब प्लास्टिक, फूल-माला और गंदगी लगभग खत्म हो चुकी है। आमजन अब बड़ी मात्रा में तालाब में पूजा सामग्री फेंकना बंद कर चुके हैं, जो एक बड़ा सकारात्मक परिवर्तन है।
स्वच्छता अब केवल नारा नहीं, बल्कि हमारी संस्कृति बनती जा रही है। अब लक्ष्य—अंदर कोट के घाटों को प्लास्टिक और जलकुंभी मुक्त बनाना। प्रकृति रक्षक दल अब अंदर कोट के घाटों को पूरी तरह स्वच्छ व प्लास्टिक मुक्त बनाने में जुट गया है। लगातार चल रहे श्रमदान में बच्चों की भागीदारी अभियान को और प्रेरणादायक बना रही है। जनभागीदारी ही सफलता की कुंजी प्रकृति रक्षकों ने अपील की है—“आइए, हम सब मिलकर संकल्प लें कि तालाब में किसी भी प्रकार का कचरा नहीं फेंकेंगे और उसे स्वच्छ, सुंदर व स्वस्थ बनाए रखने में अपना पूर्ण सहयोग देंगे।”
अभियान में उपस्थित रहे। इस दौरान राधिका तिवारी, विक्रांत सिंह गौर, मनोज तिवारी, शौर्य पटेरिया, राहुल द्विवेदी, मनीष शुक्ला, पुष्पेंद्र परमार, उदित गोस्वामी, संदेश चौबे, विशाल रावत, प्रदुम्न साहू, विशाल परमार, रोहित साहू, चेतन बबेले, जीतू राजा, दिव्य पटेरिया, स्पर्श, मुकुल झा, शिवचरण साहू, अंकित पाल, मनोज झा सहित कई प्रकृति रक्षक मौजूद रहे।

No comments:
Post a Comment